
हर्बिनजर टुडे डेस्क। ईरान पर इजराइल के मित्र देशों ने भी हमले करने शुरू कर दिए हैं. जिसमें पहला नाम अमेरिका का सामने आया है। उसके बाद भी ईरान में कोई डर नहीं है। अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर ईरान किससे डरता है? कोई ऐसा देश या ग्रुप है जिसकी बात ईरान को भी माननी पड़ती है. आइए आपको भी बताते हैं…
ईरान के खिलाफ अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप के कई देश आ चुके हैं। जिसका ईरान पर कोई फर्क नहीं पड़ा है. लेकिन एक ऐसा भी ग्रुप है, जिसकी हर बात ईरान को माननी पड़ती है। इस ग्रुप में ईरान समेत 22 देश शामिल हैं. इस ग्रुप का नाम है ओपेक प्लस। जिसमें मिडिल ईस्ट के वो देश भी शामिल हैं जो क्रूड ऑयल प्रोड्यूस करते हैं साथ ही मिडिल ईस्ट से अलग दूसरे देश जो कच्चे तेल का उत्पादन करते हैं वो भी देश इस ग्रुप में शामिल हैं। जिसमें रूस काफी अहम हैं।
ईरान ओपेक प्लस देशों में सबसे बड़े ऑयल प्रोड्यूयर में से एक है. ऐसे में ओपेक प्लस अगर ईरान पर दबाव बनाता है तो उसे उनकी बात माननी पड़ सकती है। खास बात तो ये है कि ये संगठन दुनिया के आधा से ज्यादा कच्चे तेल का उत्पादन करता है। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर इस ग्रुप में कौन-कौन से देश हैं और ईरान के मुकाबले में कितना ऑयल प्रोड्यूस करते हैं।
22 देशों का ग्रुप है ओपेक प्लस
ओपेक प्लस ईयू,नाटो, ब्रिक्स, जी7 जैसा कोई पॉलिटिकल और डिप्टोमैटिक ग्रुप नहीं है। ये ग्रुप उन देशों का ऐसा समूह है, ग्लोबली क्रूड ऑयल का प्रोडक्शन करता है. वैसे तो इस ग्रुप से अलग दुनिया के कुछ देश और भी हैं जो कच्चे तेल का प्रोडक्शन करते हैं, लेकिन ये ग्रुप दुनिया के आधे से ज्यादा क्रूड ऑयल का प्रोडक्शन खुद करता है। यह कारण है कि ये ग्रुप काफी स्ट्रांग भी है। जिसके एक स्टेटमेंट से कच्चे तेल की कीमतें ऊपर और नीचे हो जाती हैं। इस ग्रुप के पास दुनिया के तमाम देशों की इकोनॉमी की ऐसी नब्ज है, जिसे वो कभी भी दबाकर परेशान कर सकता है।
इस ग्रुप में ये देश हैं शामिल
इस ग्रुप में वैसे 22 देश शामिल हैं, लेकिन सबसे अहम यूएई, सऊदी अरब, यूएई और ईरान हैं। अगर सभी देशों के नाम भी देखें तो कुछ छोटे देश भी इस लिस्ट में देखें जा सकते हैं। जिसमें इराक, कुवैत, वेनेजुएला, नाइजीरिया, लीबिया, अल्जीरिया, इक्वेटोरियल गिनी, कांगो गणराज्य, गैबॉन, आजरबाइजान, बहरीन, ब्रुनेई, कजाखस्तान, मेक्सिको, मलेशिया, दक्षिण सूडान, सूडान और ओमान प्रमुख हैं। ये तमाम देश आधी से ज्यादा दुनिया को ऑयल सप्लाई करते हैं। इनमें से अधिकतर देशों की कमाई का जरिया कच्चे तेल का प्रोडक्शन ही है. साथ ही इन देशों के पास काफी ऑयल रिजर्व है। जिनकी अरबों और खराबों डॉलर में है।
एक दिन में कितना करते हैं प्रोडक्शन
अमेरिका की एनर्जी इनफॉर्मेशन एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार ओपेक और नॉन ओपेक देश जिसे मिलाकर ओपेक प्लस का नाम दिया गया है, एक दिन में 45.2 मिलियन बैरल प्रति दिन का प्रोडक्शन करते हैं। जिसमें ओपेक के 12 देशों का एक दिन का प्रोडक्शन 28.7 मिलियन बैरल है. जबकि नॉन ओपेक देशों का प्रोडक्शन प्रति दिन 16.5 मिलियन बैरल देखने को मिलता है. खास बात तो ये है कि ओपेक देशों की ओर से सबसे ज्यादा प्रोडक्शन 10.4 मिलियन बैरल सऊदी अरब का है। जबकि नॉन ओपेक देशों में सबसे ज्यादा ऑयल प्रोडक्शन 10.3 मिलियन बैरल के साथ रूस का है।
ईरान में कितना होता है ऑयल प्रोडक्शन
ईआइए की रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2023 तक ईरान का डेली ऑयल प्रोडक्शन 2.5 मिलियन बैरल का था। जिसमें अब इजाफा देखने को मिल चुका है. हाल ही में आई रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार ईरान का ऑयल प्रोडक्शन 3.3 मिलियन बैरल पहुंच चका है। जोकि मौजूदा समय में अभी भी इराक और यूएई से कम है। उसके बाद भी ईरान का ऑयल प्रोडक्शन ग्लोबल मार्केट के लिए काफी है,उसका कारण भी है। ईरान के कब्जे में होमुर्ज स्ट्रेट है, जिससे ग्लोबल सप्लाई का आधे से ज्यादा ऑयल का शिपमेंट होता है। अगर ईरान इस स्ट्रेट को बंद कर दे तो दुनिया में हाहाकार मच जाएगा।
इस ग्रुप से डरता है ईरान?
वैसे तो ईरान किसी से भी नहीं डरता. उसका एक नमूना हम देख ही रहे हैं। इजराइल के खिलाफ युद्ध के दौरान अमेरिका, नाटो देश, यूरोप एशिया के कई देश के ईरान के खिलाफ आ चुके हैं। उसके बाद भी वो बिल्कुल भी घबराया नहीं है, लेकिन ओपेक देशों में अधिकर मिडिल ईस्ट के तमाम बड़े देश शामिल हैं. जिसे ईरान को अनकहा समर्थन भी हासिल है। यही वजह है कि ईरान इन देशों की बातों को टाल नहीं सकता है. साथ ही नॉन ओपेक देशों में भी ईरान को रूस का सपोर्ट भी शामिल है।
जोकि पूरी तरह से छिपा हुआ है, ऐसे में इन देशों का दबाव ईरान पर महयूस होता हुआ दिखाई देता है। हाल ही में रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा ओपेक प्लस देशों को हिदायत दी थी कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा होने की बड़ी वजह ईरान और इजराइल के बीच युद्ध है। उसके बाद भी ओपेक प्लस के किसी भी देश को कोई एक्शन लेने की जरुरत नहीं है। वहीं ईराक के डिप्टी पीएम ने कहा था कि अगर ईरान और इजराइल के बीच जल्द युद्ध नहीं थमा तो कच्चे तेल की कीमतें 200 डॉलर प्रति बैरल पार कर जाएंगी।
क्या ईरान को रोकेगा ओपेक प्लस?
भले ही ओपेक प्लस कोई कूटनीतिक या फिर राजनीतिक ग्रुप नहीं है। उसके बाद भी सबसे बड़ा सवाल ये बना हुआ है कि ये मिलकर क्या ईरान को रोकने का या फिर युद्ध समाप्त करने का कोई कदम आगे बढ़ाएंगे। कुछ दिन पहले रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता कराने की बात तो कही थी, लेकिन ईरान के खिलाफ कुछ नहीं कहा था। वहीं दूसरी ओर ईराक के डिप्टी ने भी ईरान के खिलाफ कोई बयानबाजी नहीं की थी। मिडिल ईस्ट के बड़े देश सऊदी अरब और यूएई का भी कोई बयान नहीं आया था। ऐसे में ओपेक या फिर ओपेक प्लस देशों की ओर से ईरान को रोकने का कोई प्रयास किया जाएगा, जबकि अमेरिका की ओर से ऐसी कोई गुजारिश ना की जाए।