हर्बिनजर टुडे डेस्क । पिंडारघाटी की आस्था के केंद्र ‘चोपता कौथिग’ में पांचवें दिन धर्म और लोक संस्कृति की अनूठी झलक देखने को मिली। मंगलवार को एक ओर पंचांग पूजा के बाद ढोल-दमौ की थाप पर भूमियाल देव का निशाण चोपता चौंरी पहुंचा। दूसरी ओर जागर सम्राट पद्मश्री डॉ. प्रीतम भरतवाण के स्वरों की जादूगरी ने ऐसा माहौल बनाया कि हर कोई झूमने पर मजबूर हो गया।
चमोली जिले की कड़ाकोट पट्टी में स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री सिद्धपीठ राजराजेश्वरी गिरिजा भवानी,चोपता चौंरी में आयोजित मेले में पांचवें दिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। गढ़ के वीर भैरव, मां नंदा, दक्षिण काली के पश्वा ने श्रद्धालुओं को दर्शन दिए। मंदिर के कुल पुरोहितों ने माता का अनुष्ठान संपन्न कराया। दूसरी ओर, सांस्कृतिक महोत्सव में लोक गायक प्रीतम भरतवाण ने ढोल के साथ जब देवी जागर लगाए तो दर्शक दीर्घा से लोग खुद को नाचने से रोक नहीं पाए।
प्रीतम भरतवाण ने मां भगवती, नरसिंह, राजराजेश्वरी, शिव कैलाश आदि जागर प्रस्तुत कर दर्शक दीर्घा का माहौल भक्तिमय बना दिया। प्रीतम भरतवाण ने जब, नारैनी मेरी माता भवनी… जागर प्रस्तुत किया तो हर कोई थिरकने लगा। हाल में रिलीज गीत कैमरा, पुराने प्रसिद्ध गीत तिबारी मा बैठीं होली., चल मेरी सरूली, हिट बसंती, सरूली मेरु जिया लगीगे, बांद अमरावती.. आदि गीतों पर युवा जमकर थिरके। पूरा मेला परिसर लोगों की भीड़ से खचाखच भरा रहा। पांचवें दिन के मुख्य अतिथि कर्णप्रयाग नगर पालिका के अध्यक्ष गणेश शाह, जिला पंचायत सदस्य सुरेंद्र कनेरी मुख्य रूप से मौजूद रहे। मंदिर कमेटी अध्यक्ष अवतार सिंह सिनवाल ने आभार व्यक्त किया।
मंदिर प्रांगण में भी किया देवताओं का आह्वान- चोपता चौंरी मंदिर प्रांगण में जागर सम्राट डॉ. प्रीतम भरतवाण ने ढोल-दमाऊं की थाप पर माता की स्तुति की। उनके आह्वान पर देव पाश्वा को अवतरित हुए और आशीर्वाद लिया। डॉ. प्रीतम भरतवाण ने चमोली जिले की लोक संस्कृति और परंपराओं की सराहना की।
