
WIC India organizes discussion session on Kargil Vijay Diwas
हार्बिनजर टुडे डेस्क। वर्ल्ड इंटीग्रिटी सेंटर इंडिया, देहरादून ने आज 25वें कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में एक विशेष चर्चा सत्र आयोजित किया। इस कार्यक्रम में 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान लड़ने वाले बहादुर सैनिकों के साहस और बलिदान को सम्मानित किया गया। इस सत्र में सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर गोविंद सिंह सिसोदिया वीएसएम, सेवानिवृत्त ग्रुप कैप्टन अमित शर्मा और सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल करुणा थपलियाल सहित प्रतिष्ठित पैनलिस्ट शामिल हुए, जिन्होंने अपने अनुभव और अंतर्दृष्टि साझा की। सत्र का संचालन डॉ मीनू गोयल चौधरी द्वारा किया गया।
26/11 हमले के दौरान ऑपरेशन का नेतृत्व करने के बारे में बात करते हुए, ब्रिगेडियर गोविंद सिंह सिसोदिया ने कहा, “मुंबई में 26/11 हमले के दौरान मुंबई के साथ साथ पूरे देश को बड़े पैमाने पर हमलावरों द्वारा एक गंभीर चुनौती दी गई थी। आतंकवादियों का उद्देश्य भारत और दुनिया को यह संदेश देना था कि वे अपनी ताक़त कहीं भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
वे कम से कम एक साल से इस ऑपरेशन की योजना बना रहे थे।” उन्होंने हमले से निपटने के अपने अनुभव, अपने और अपने साथियों के सामने आई चुनौतियों, और अजमल कसाब से पूछताछ करने के अपने तरीके को साझा करते हुए बताया की कैसे उन्होंने शारीरिक बल का सहारा लेने के बजाय कसाब के उद्देश्यों और मानसिकता को समझने पर ध्यान केंद्रित किया था।
Kargil Vijay Diwas
कारगिल युद्ध में अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए, ग्रुप कैप्टन अमित शर्मा ने कहा, “कारगिल युद्ध के दौरान, मैं एक युवा लड़ाकू पायलट था और उस समय हम ज़्यादातर हवाई जहाज़ में रहते थे। एक बार उड़ान मिशन के दौरान एक वरिष्ठ सेना प्रमुख मेरे साथ शामिल हुए। दुश्मन का लड़ाकू विमान पास होने पर मैंने उनसे बेस पर लौटने के लिए कहा, मगर उन्होंने मुझे दुश्मन की परवाह किए बिना अपने उड़ान मिशन को जारी रखने का आदेश दिया। यह क़िस्सा भारतीय सेना के सैनिकों की बहादुरी और पराक्रम को दर्शाता है।
लेफ्टिनेंट करुणा थपलियाल ने एक मज़ेदार लेकिन भयावह अनुभव साझा करते हुए बताया जब वह अपने दोपहिया वाहन पर बनिहाल सुरंग जाकर सुरक्षित वापस लौटीं, और जिसके बाद भारतीय सेना ने उनसे पूछताछ भी करी। कारगिल युद्ध पर विचार करते हुए उन्होंने कहा, “हम इस युद्ध को अपने अफ़सरों और जवानों के अद्भुत साहस की एक कहानी मानते हैं, जो कल्पना से परे है।
शहीदों को श्रद्धांजलि देने और उनके अपार योगदान के लिए आभार व्यक्त करने के लिए आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। उपस्थित लोग शहीदों की स्मृति का सम्मान करने और भारतीय सशस्त्र बलों की जीत का जश्न मनाने के लिए एक साथ आये।
इस अवसर पर बोलते हुए, डब्ल्यूआईसी इंडिया देहरादून के निदेशक सचिन उपाध्याय ने कहा, “डब्ल्यूआईसी में, हमने हमेशा सामुदायिक अनुभवों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया है। हमने अपने बहादुर सैनिकों और हमारे देश की एकता का सम्मान करने के लिए 8 साल पहले कारगिल विजय दिवस कार्यक्रम की परिकल्पना की थी। कारगिल युद्ध की 25वीं वर्षगांठ पर, हमें तीन प्रतिष्ठित पैनलिस्टों द्वारा अपने साहस और दृढ़ संकल्प से हमें प्रेरित करने का सम्मान मिला है।
डब्ल्यूआईसी इंडिया देहरादून के निदेशक अंकित अग्रवाल ने कहा, “कारगिल युद्ध भारत के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय रहा है। हमारी स्वतंत्रता के लिए लड़ने वालों को याद रखना और उनका सम्मान करना हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है। यह कार्यक्रम सभी सैनिकों की बहादुरी के लिए एक छोटी सी श्रद्धांजलि है। हम अपने सम्मानित पैनलिस्टों और दर्शकों की भागीदारी के लिए आभारी हैं, जो हमारे सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए हमारे साथ शामिल हुए हैं।